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सिमसा माता मंदिर में क्या है ऐसा ख़ास ! जमीन पर सोने भर से महिलाएं हो जाती है गर्वभती

ये बात सभी जानते है कि हिमाचल को देव भूमि क्यों कहा जाता है देव भूमि का मतलब है देवों का वास। जिस तरह आपको पिछले आर्टिकल में बैजनाथ के शिव मंदिर के बारे बताया था उसी तरह आज भी हम एक ऐसे मंदिर के बारे बताएंगे। जिसे जानकर आप भी वह सुख  उठा पाएंगे।  जो और श्रधालुओं ने यहाँ पर आकर उठाया।  एक ऐसा लाभ जिस की वजह से आपकी ज़िन्दगी में वो खुशी आ जाए जिस की वजह से आपकी ज़िन्दगी अधूरी थी। चलो तो बात करते है कि आखिर क्या है इस मंदिर में ऐसा जो आपको आपकी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दे सकता है जिस मंदिर का नाम है सिमसा माता।
अगर आपने सिमसा माता मंदिर का नाम सुना है तो आप सिमसा माता मंदिर के बारे सब कुछ जानते होंगे कि यहाँ ऐसा चमत्कार कैसे हो सकता है। जिन लोगों ने पूरी श्रद्धा से सिमसा माता के दर्शन किये है उनकी आस्था आज भी सिमसा माता के लिए कायम है क्यूंकि उन्होंने पाया है संतान का सुख। शायद आप यह सुनकर हैरान भी होंगे कि किसी मंदिर में जाकर कोई कैसे संतान का सुख प्राप्त  कर सकता है
जी हाँ लेकिन यह हर माँ के लिए सुखद सच है जो लोग नि:संतान होते है सिमसा माता उनकी इस मनोकामना को पूरा करती है।

सिमसा माता हिमाचल के मंडी ज़िले के सिमस गांव में है मंदिर के दूसरी और काँगड़ा का बॉर्डर भी लगता है लेकिन हम यहाँ इसकी दुरी और क्षेत्रफल की बात नहीं करेंगे बल्कि हम यहाँ आपको सिमसा माता के मंदिर की विषेशताएं बताएंगे। लेकिन आपको इस बात पर यकीन मानना ही होगा अगर आप संतान सुख से वंचित है तो सिमसा माता आपको ये सुख दे सकती है लेकिन उसके लिए आपको अपनी आस्था शक्ति को मजबूत करना होगा।

सिमसा माता निःसंतान महिलाओं को गर्वभती होने का आशीर्वाद देती है मान्यताओं के अनुसार निःसंतान महिला को मंदिर के बरमान्दे में दिन रात फर्श में सोना पड़ता है। जिसके बाद से ही महिला गर्वभती हो जाती है तभी इस मंदिर को संतानदात्री भी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी माँ सोई हुई महिला को एक स्वप्न दिखाती है जिससे ये आभास हो जाता है कि देवी माँ उनकी आस्था से प्रसन्न है और माँ ने  उस महिला की मनोकामना पूरी कर दी।

इसके इलावा देवी माँ पुत्र या पुत्री होने का संकेत भी दे देती है लेकिन ये सब एक स्वप्नं के ऊपर निर्धारित होता है ऐसा कहा गया है कि स्वप्न आने के बाद महिलाओं को तुरंत अपना बनाया अड्डा छोड़ना पड़ता है। अड्डा न छोड़ने पर उस महिला को उसका मोल चुकाना पड़ता है उन्हें पुरे शरीर में खुजली जैसी बीमारी जकड लेती है और शरीर में लाल चकत्ते जैसे भी होने लगते है लेकिन यह सिर्फ  देवी माँ का वहां से जगह छोड़ने का आदेश होता है जगह न छोड़ने के बाद हुई खुजली का कोई नुक्सान नहीं होता है।

नवरात्रों में  सिमसा माता मंदिर बहुत व्यस्त रहता है श्रदालुओं की भीड़ भी लगी रहती है क्यूंकि यहाँ दूर दूर से हर तरह के लोग आते है लोगों में सिमसा माता मंदिर को लेकर इतनी आस्था बढ़ गई है कि लोग दूसरे राज्यों से हर साल यहाँ आने का इंतज़ार करते है। नवरात्रों के इलावा गर्मियों में 2 से 3 दिन का मेला भी लगता है भीड़ भी नवरात्रों जैसी ही रहती है इन दिनों में भी लोग काफी दूर दूर से माता सिमसा की हाज़री भरने के लिए यहाँ आते है।

लाखों दम्पतियों ने यहाँ हाज़री भर कर संतान का सुख पाया है क्यूंकि उन लोगों का सिमसा माता पर अटूट विशवास था और आज भी वह लोग किसी न किसी बहाने सिमसा माता मंदिर चले ही आते है। आखिर संतान सुख किसे नहीं चाहिए होता है लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी हो जाती है जिसकी वजह से कुछ दम्पति संतान सुख से वंचित रह जाते है अगर आप भी उन लोगों में से हो जो संतान सुख से वंचित है तो वह एक बार पूरी आस्था से सिमसा मंदिर में हाज़री ज़रूर भरें।

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